देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय वाक्य
उच्चारण: [ devi persaad chettopaadheyaay ]
उदाहरण वाक्य
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- प्रसिद्ध दार्शनिक देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय ने लिखा है ‘
- देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय ने इस पहलू की ओर ध्यान खींचा है।
- ार्य अनंतमूर्ति • देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय • हरिकॄष्ण दुआ • के एम मैथ्यूज़ •
- भारत में विज्ञान के इतिहास का अध्ययन-देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय द्वारा संपादित चयनिका
- प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय ने बौद्ध धर्म को भारतीय इतिहास का करिश्मा कहा है।
- इन बातों का समर्थन देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय भी अपनी किताब लोकायत, और भारतीय दर्शन में जीवंत और मृत में करते हैं ।
- शिरीष कुमार मौर्य जी, देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय जी की यह कविता बहुत से मुद्दों पर सोच विचार करने को बाध्य करती है.
- देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक लोकायत में लिखते हैं कि कोई ब्राह्मण कश्यप गोत्र का है और यह नाम कछुए अथवा कच्छप से बना है।
- आगे श्री देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय जी लिखते हैं कि ' ' शाक्य जनजाति के अंदर संभवत: कई कबीले ' गोत्र ' थे । स्वयं बुद्ध गौतम '' गोत्र '' से थे ।
- बाद में जब देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय और भगवत शरण उपाध्याय वगैरह को पढ़ा तो स्पष्ट होने लगा कि ब्राह्मण ग्रंथों, स्मृतियों, कर्मकांडों की जो परंपरा है वह उपनिषदों के विरोध में है।
- आधुनिक खोजकर्ताओं ने प्रमाणित कर दिया है की प्राचीन चिकित्सा सम्बंधित स्रोत ग्रन्थ चरक संहिता के रचयिता चरक कोई एक मनुष्य न होकर प्राचीन भारत का एक घुमंतू (भ्रमणशील) संप्रदाय था (जिन सुधि पाठकों को इस विषय में रूचि है वे देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय कृत ग्रन्थ
- आधुनिक खोजकर्ताओं ने प्रमाणित कर दिया है की प्राचीन चिकित्सा सम्बंधित स्रोत ग्रन्थ चरक संहिता के रचयिता चरक कोई एक मनुष्य न होकर प्राचीन भारत का एक घुमंतू (भ्रमणशील) संप्रदाय था (जिन सुधि पाठकों को इस विषय में रूचि है वे देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय कृत ग्रन्थ
- आधुनिक खोजकर्ताओं ने प्रमाणित कर दिया है की प्राचीन चिकित्सा सम्बंधित स्रोत ग्रन्थ चरक संहिता के रचयिता चरक कोई एक मनुष्य न होकर प्राचीन भारत का एक घुमंतू (भ्रमणशील) संप्रदाय था (जिन सुधि पाठकों को इस विषय में रूचि है वे देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय कृत ग्रन्थ Science and Society in Ancient India का अध्ययन कर सकते हैं) ।
- [i] वाल्टर रूबेन ने भारत में दर्शन का स्पष्ट प्रारम्भ छान्दोग्य उपनिषद में उद्दालक आरुणि के पुद्गल-जीववाद से माना है और उनके अनुसार ‘ उसका भौतिकवाद, जो बहुत आदिम है, उस मान्यता का, जिसे देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय ने लोकायत में “ प्रागैतिहासिक इहलोक परायणता ' कहा है, और जो कबायली युगों की विशेषता रही थी, पहला क्रमबद्ध निरूपण है.
- राजस्थान पत्रिका में हिन्दी में छपे उनके दो लेखों की कटिंग, देवी प्रसाद चट्टोपाध्याय की लोकायत, वीणा म्यूजिक के श्री केसी मालू की ओर से पाकिस्तानी दोस्तों के लिये खास तौर पर भेंट किये गये राजस्थानी संगीत की सीडीज का एक सेट, जयपुरी बन्धेज की कुछ चुन्नियाँ, और ऐसे कई छोटे-मोटे उपहारों के साथ राजस्थान से संबंधित पर्यटन सामग्री का एक किट हमने इरशाद साहब को भेंट किया।
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